मोतियाबिंद के निशुल्क ऑपरेशन का महाशिविर 17 दिसंबर से पुष्कर में


श्री रणछोड़दास बापू चैरिटेबल अस्पताल की पहल 17 मार्च तक चलेगा शिविर 30 हजार ऑपरेशन का लक्ष्य

जयपुर- गुजरात के राजकोट स्थित श्री रणछोड़दास जी बापू चैरिटेबल अस्पताल की ओर से मोतियाबिंद की नि:शुल्क ऑपरेशन का महाशिविर आगामी 17 दिसंबर से 17 मार्च तक पुष्कर में आयोजित किया जाएगा। शिविर में 30 हजार से अधिक ऑपरेशन नि:शुल्क किए जाएंगे। ऑपरेशन आधुनिक फेको मशीन से होंगे और सॉफ्ट फोल्डेबल लेंस भी नि:शुल्क लगाए जाएंगे। शिविर में ऑपरेशन के दौरान भोजन, चाय, नाश्ता, काला चश्मा, दवाई और ऑपरेशन के बाद पवार वाला चश्मा सहित सभी खर्च ट्रस्ट वहन करेगा। श्री रणछोड़दास जी बापू चैरिटेबल हॉस्पिटल के मैनेजिंग टस्ट्री प्रवीण भाई वसाणी व अमित भट्ट ने गुरुवार को जयपुर स्थित पिंक सिटी प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार प्रेस वार्ता में जानकारी दी। ट्रस्टी वसाणी  के अनुसार मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए अजमेर रोड पेट्रोल पंप के सामने श्री राम द्वारा आश्रम पुष्कर में शिविर आयोजित किया जा रहा है। यह 17 दिसंबर से 17 मार्च तक शिविर चलेगा। रोज सुबह 9 से शाम 5 बजे तक 50 से अधिक सेवादारो की टीम के साथ डॉक्टर ऑपरेशन करेंगे। एक दिन में सैकड़ो ऑपरेशन हो सकेंगे। ऑपरेशन मरीज को बिना चीरा लगाए फेको मशीन के द्वारा किया जाएगा। शिविर अवधि में 30 हजार ऑपरेशन का लक्ष्य है।

 अगर मरीज बढ़ते हैं तो यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। शिविर में पूरे राजस्थान के मरीज लाभ ले सकेंगे। शिविर के लिए पंजीयन 17 दिसंबर को किए जाएंगे। वसाणी के अनुसार फेंको मशीन से सिर्फ ऑपरेशन करने में ही कम से कम ₹20 हजार तक का खर्चा आता है, जो बिल्कुल नि:शुल्क किया जाएगा।


 *नि:शुल्क सामग्री का होगा वितरण*: वसाणी ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान प्रत्येक मरीज को चार समय का भोजन, नाश्ता दिया जाएगा। ऑपरेशन के बाद 24 घंटे मरीज को ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। बाद में मरीज को एक-एक कंबल, एक साड़ी, दो किलो चावल, 1 किलो गेहूं का आटा, आधा किलो मीठी बूंदी तथा किराए के लिए ₹100 नगद भी प्रदान किए जाएंगे।


*मोतियाबिंद से टकराकर गिरते देखा तो लिया अनूठा संकल्प*

 भट्ट ने बताया कि पूज्य श्री रणछोड़दास बापू वर्ष 1946 में कहीं जा रहे थे, तभी उन्होंने एक व्यक्ति को टकराकर चोटिल होते देखा। उन्होंने संबंधित व्यक्ति से जब पूछा तो उसने बताया कि उसे मोतियाबिंद के कारण दिखाई नहीं देता। यह सुनकर बापू द्रवित हो गए और उसी दिन उन्होंने मोतियाबिंद के उपचार का संकल्प लिया। पहली बार 1950 में उन्होंने मोतियाबिंद की नि:शुल्क ऑपरेशन के लिए शिविर  लगाया, तभी से शिविरों का  सिलसिला चल रहा है। पूरे देश में अब तक करीब 20 लाख गरीब और जरूरतमंद लोगों को नि:शुल्क ऑपरेशन कर नेत्र ज्योति लोटाई जा चुकी है।

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