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नहा धोके गहलोत के पीछे पड़े वकील गोवर्धन सिंह

    जयपुर। पिछले साल मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत की नाक में दम करने वाले एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने एक बार फिर प्रदेश की सोशल मीडिया पर गहलोत और कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गौरतलब है कि एडवोकेट गोवर्धन सिंह को मुख्‍यमंत्री से टकराने के चलते पिछले साल विभिन्‍न मुकदमे खोलकर जेल पहुंचा दिया गया था। जेल से छूटने के बाद प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गोवर्धन सिंह अपनी पूरी ताकत से गहलोत और उनके पुत्र वैभव के खिलाफ पिल पड़े हैं।  हाल ही सोशल मीडिया पर गहलोत के कथित घोटालों को उजागर करते गोवर्धन सिंह के वीडियो जबर्दस्‍त वायरल हो रहे हैं। इनमें से एक वीडियो में गोवर्धन सिंह ने पेपर लीक मामलों में गहलोत सरकार को घेरा है। वहीं एक और वीडियो में गहलोत  के पुत्र वैभव पर ईडी की कार्यवाही और फेयरमाउंट होटल में हिस्‍सेदारी पर बड़े आरोप लगाए गए हैं। गोवर्धन सिंह ने गहलोत के  साथ ही प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और अन्‍य पर भी प्रदेश को लूटने के कथित आरोप लगाए हैं। 

सभी पत्रकार संगठनों को एकजुट होकर लड़नी होगी पत्रकारों की लड़ाई

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  - आईएफडब्ल्यूजे ने मनाया 74 वां स्थापना दिवस  जयपुर, 28 अक्टूबर। इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्ल्यूजे) का 74 वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को पिंक सिटी प्रेस क्लब के सभागार में मनाया गया। इस मौक  पर राजस्थान प्रांत का प्रांतीय सम्मेलन हुआ, पत्रकारों की विभिन्न लम्बित मांगों एव समस्याओं पर विचार-विमर्श कर निर्णय लिए गए। सम्मेलन के मुख्य अतिथि दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप भंडारी ने कहा  कि सभी संगठनों को एक होकर पत्रकार हितों की लड़ाई लड़नी होगी। भारतीय पत्रकार जगत सभी विचारधाराओं के साथ 140 करोड़ भारतवासियों के हितों की मुखर आवाज बनता है ऐसी स्थिति में समाज के सभी वर्गों को समझना होगा कि यदि पत्रकार सुरक्षित होगा तो सभी भारतवासियों के जीवन भी सुरक्षित रह पाएंगे।  वरिष्ठ पत्रकार शिप्रा माथुर ने कहा कि आज आवश्यकता है कि पत्रकार पत्रकारिता के मूल्यों और पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को पहचाने तभी सार्थकता है। उन्होंने पत्रकारों को क्षेत्र के विशेषज्ञ द्वारा लिखे गए शोध का अध्ययन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विशिष्ट अतिथि इं...

अब आया है नाथी का ऊंट जनता के पहाड़ के नीचे

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  सत्ता के मद में जनता को दिखाई आंख, अब जनता की बारी रूपेश टिंकर जयपुर। प्रकृति का नियम है, समय सबका आता है। लोकतंत्र में जनता का समय चुनाव में ही आता है, जब वह सत्ता के घमंड में चूर नेताओं को उनकी असली औकात दिखाती है। हालांकि सत्ता का नशा ऐसा होता है, जिससे कोई भी दल या नेता मुश्किल ही बच पाता है।  राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के अलग अलग आकलन हो सकते हैं, लेकिन जनता की पसंद, नापसंद और लोक व्यवहार के मूल सिद्धांत से हटकर कोई नहीं हैं। 5 साल पहले चुनाव में मतदाता ने बड़ी उम्मीद से अपना मानते हुए वोट का प्यार जताया था और बदले में 5 साल नेताजी ने आंख दिखाकर निराश किया तो अब बारी जनता की है।  हम थोड़ी देर के लिए साल 2018 के चुनाव में चलते हैं। कार्यकर्ता आधारित भाजपा की वसुंधरा सरकार से उसका कार्यकर्ता ही खफा था, नतीजा खुद भाजपा के लोगों ने अपने ही नेताओं को उनका धरातल दिखा दिया। दूसरी कांग्रेस में कैडर की स्थिति किसी से छिपी नहीं। नेता आधारित इस पार्टी को भाजपा के ही लोगों ने सत्ता तक पहुंचाया। क्योंकि उसका पहला ध्येय तो अपने नेताओं को सबक सिखाना ही था। ये कैडर का ही कारण ...

571 पत्रकारों के 10 साल के अधिकारों का विरोध क्यों, ये पत्रकारिता है या चाटुकारिता

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  स्वांगी ने किया पत्रकारिता को शर्मसार जयपुर। जेडीए की एक लिपिकीय त्रुटि का 10 साल से दंश झेल रहे पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के 571 आवंटी पत्रकारों के जायज अधिकारों का सत्ता के मद में चूर हुक्मरानों से मिलकर पत्रकार के छद्म वेश में छिपे चाटुकारों ने दमन करने का प्रयास किया है। सरकार के वज्रपात से आहत 571 पत्रकारों ने न्यायालय की शरण में पहुंचकर बमुश्किल जान बचाई है, वरना 5 दिन के खेल में जेडीए के रिकॉर्ड से 571 के आवंटन को समूल नष्ट कर दिया जाता। नगरीय विकास के सभी कानून कायदों की अवहेलना करते हुए चुनाव के मद्देनजर 5 दिनों का जो खेल खेला गया और उसमें अल्प शिक्षित और पत्रकारिता की मूल अवधारणा से अनभिज्ञ पत्रकार नेताओं ने नोसिखियों को प्लॉट का प्रलोभन देकर आगामी चुनावी राजनीति के जाल में फंसा ही लिया है। 571 पत्रकार, जिनमें से 2 दर्जन तो दुनिया में भी नहीं है, उनके परिजनों तक के अरमानों को निर्ममता से रौंदा गया। नुकसान किसी का भी हो रहा हो, परंतु शर्मसार तो पत्रकारिता को होना पड़ा है। जेडीए और सरकारों की लापरवाही से प्रताड़ित 571 परिवारों के अधिकारों को कुचलकर अपना घर बसाने की कु...

पत्रकारों को खरीदने और कांग्रेस के पक्ष में चुनाव फिक्सिंग का बड़ा गेम रचा था जोगाराम ने

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हाई कोर्ट के आदेशों और नगरीय भूमि निष्‍पादन नियम 1974 की उड़ाई धज्जियां जयपुर। राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय के 3 जुलाई, 2013 के विधि अनुसार ही कार्य करने के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्‍त जोगाराम एवं सचिव नलिनी कठौतिया ने राज्‍य सरकार के 8 मंत्रियों की एम्‍पावर्ड कमेटी के साथ मिलीभगत  कर 571 निर्दोष पत्रकार आवंटियों के साथ अनैतिकता की सारी हदें पार कर दी। साथ ही कानून का मखौल बनाने में भी रत्‍ती भर कसर नहीं छोड़ी। ये सारे कुकृत्‍य पत्रकारों के साथ किए गए हैं तो प्रदेश की जनता का तो भगवान ही मालिक है।  असल में मामला ये है कि कांग्रेस सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेसी विचारधारा रखने वाले और कांग्रेसी कार्यकर्ता की तरह कार्य करने वाले चुनिंदा पत्रकारों को लाभ देने के लिए ऐसा गेम प्‍लान किया है, जिसमें 10 साल से पीडि़त 571 पत्रकार और उनके  परिवार अपनी सुरक्षा में अपने न्‍यायिक  अधिकारों का भी उपयोग न कर सके।  नियमानुसार आवंटियों को आज तक कोई जवाब व सुनवाई नहीं साल 2010 में सरकार के 20 अक्‍टूबर, 2010 के नगरीय भूमि निष्‍पादन नियम...