न रुकेंगे, न झुकेंगे 571 पत्रकार
निर्दोष परिवारों का संघर्ष होगा तेज
रूपेश टिंकर
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साल 2010 के ड्रीम प्रोजेक्ट पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला पर सभी ने अपनी लचरता के खुलकर प्रहार किए हैं। जेडीए, डीपीआर और पत्रकार आवास समिति के बीच फुटबाल बने नायला पत्रकार नगर के 571 आवंटी पत्रकार जब चापलूस नेताओं की जद से बाहर निकले और तथ्य और सत्य को ढूंढने निकले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
शासन की लचरता की हद है कि तत्कालीन गलतियों को सुधारने के बजाय 571 पीड़ित आवंटियों को ही बदनाम कर सीएम की नजरों से दूर करने में लगे हैं। सच से रूबरू होकर जेडीए आयुक्त रहे रवि जैन ने 571 आवंटियों को न्याय दिलाने की कार्यवाही तो की, लेकिन भूखंड के अनैतिक याचकों ने मुख्यमंत्री निवास के अधिकारियों को ही भरमा दिया। रवि जैन के निर्देशन में 571 नायला प्रकरण के हल के लिए जेडीए में कमेटी बनी, जिसमें डीपीआर पुरुषोत्तम शर्मा ने भी सहयोग किया, लेकिन भूखंड के अनैतिक याचकों और नेताओं ने शायद उन पर भी झूठी आभा का आवरण डाल दिया है।
इन सबके बीच बेहाल निर्दोष 571 पत्रकार और 10 साल से अपने ही प्लॉट की आस में भटक रहे उनके परिवार अब निढाल भी होने लगे हैं। दुखद है कि पढ़ाई लिखाई से दूर पत्रकार का चोला पहने नेता भी 571 परिवारों के सपनों पर राजनीतिक निपुणता के बाण चलाने में जुटे हैं।
कुछ भी हो और कोई कुछ भी कर रहा हो। 571 पत्रकार अपने आवंटन के सत्य की मशाल लिए अपनी आवंटित भूमि नायला की राह पर चल पड़े हैं। अब यह रास्ता चाहे जेडीए से होकर गुजरे, चाहे मुख्यमंत्री के घर से निकले या फिर कोर्ट के गलियारों से आगे बढ़े, सत्य पथ के राही मंजिल से पहले रुकने वाले नहीं है।
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