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नलिनी फाउंडेशन की छात्रवृत्ति योजना का लोकार्पण

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जयपुर, 14 जून। समाज में स्त्री चेतना एवं बालिका समृद्धि के क्षेत्र में कार्यरत नलिनी फाउंडेशन ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रतिभावान छात्र छात्राओं के लिए अभिनव छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया है। यह जानकारी देते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष राधे गोविंद माथुर ने बताया कि छात्रवृत्ति योजना में 5 लाख रुपए सालाना आय वाले माता-पिता के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को लाभान्वित किए जाने का प्रावधान है। छात्रवृत्ति के रूप में फाउंडेशन की ओर से ट्यूशन फीस, किताब-कॉपी तथा अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी यह छात्रवृत्ति उन्हीं छात्र-छात्राओं को देय होगी जिन्होंने कक्षा 5 की बाद का परीक्षा परिणाम में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हो। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन पत्र संस्था की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा। इसके साथ ही फाउंडेशन से जुड़े दानवीर स्त्री-पुरुष प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को गोद भी ले सकते हैं। माथुर ने बताया कि ऐसे दानवीर भामाशाह को शिक्षा गुरु की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। माथुर ने संस्था की अन्य गतिविधियों की भी विस्तार से जानकारी दी।

गहलोत की मंशा पर फेरा पानी, अब नपेंगे जवाबदेह!

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कइयों ने उलझाए है पत्रकार आवास के सपनों के तार जयपुर। प्रत्येक कार्य की जवाबदेही समय आने पर जरूर तय होती है। नैतिक कार्यों का फल हमेशा मीठा और अनैतिक का फल कड़वा आना तय है। जवाबदेही तो सरकार के 5 साल के काम काज की भी चुनाव में तय हो ही जाती है।  पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के निर्दोष 571 परिवारों के सवालों से भागने वालों को भी जवाब तो देना होगा। पिछले 8 माह में इकोलॉजिकल लिखने की गलती का सुधार हुआ, लेकिन कोर्ट के समक्ष की गई लापरवाही और ब्रोशर में मानी जा चुकी लिपिकीय त्रुटि नहीं सुधारने का जवाब भी तो देना होगा। आवंटी पत्रकारों ने अनेक बार जेडीए से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक लिखित पत्र देकर पूछा है कि योजना की प्रक्रिया में उनकी क्या गलती है। आज तक किसी से कोई जवाब देते नहीं बन रहा है। अब आवंटी पत्रकारों ने 8 माह के संघर्ष के बाद जब यह तय किया है कि कोर्ट की शरण में जाएंगे तो सभी जिम्मेदारों को जवाब कोर्ट में तो देना ही होगा। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में जवाबदेही अनिवार्य है। जवाबदेही तो प्रकृति भी तय करती है और ईश्वर की व्यवस्थाओं में भी जवाबदेही सर्वोपरि व्यवस्था है। जवाबदेह...

तो क्या नकारेपन का ठीकरा भी गहलोत पर ही फोड़ेंगे पत्रकार नेता

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571 आवंटियों की दुर्दशा से सबक लें युवा पत्रकार रूपेश टिंकर जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो संवेदनशीलता दिखाते हुए पत्रकारों की आवास की नई योजनाएं बनाने और पुरानी लंबित योजनाओं के हल के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं और प्रदेश में कई जगह योजनाएं साकार भी हो रही हैं, लेकिन राजधानी में ही आखिर क्यों पत्रकार सफल नहीं हो पा रहे हैं। उदयपुर, जोधपुर, अलवर, बांसवाड़ा, अजमेर, गंगानगर और कई जगह पर मुख्यमंत्री गहलोत के इस कार्यकाल में भी पत्रकारों की आवास योजनाएं साकार हो रही है। पिछले एक साल में नगर, कस्बों के निकायों को कई बार निर्देश दिए गए हैं।  दरअसल मुख्यमंत्री गहलोत ने तो पूरे मन से पत्रकारों को ज्यादा से ज्यादा प्लॉट देकर उनकी मदद करने की मंशा दिखाई है, लेकिन राजधानी में पत्रकारों की गंदी राजनीति और आपसी खींचतान का फायदा नकारा नेताओं ने उठाया है। सभी जानते हैं कि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला को कोर्ट में उलझाने वाले कोई और नहीं, पत्रकारों के ही छिपे हुए नेता थे। साल 2013 में इस योजना को लाने का श्रेय प्रेस क्लब के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज मेहरा को न मिल जाए। किसी ने सुनील हेड़ा ...

न रुकेंगे, न झुकेंगे 571 पत्रकार

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निर्दोष परिवारों का संघर्ष होगा तेज रूपेश टिंकर जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साल 2010 के ड्रीम प्रोजेक्ट पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला पर सभी ने अपनी लचरता के खुलकर प्रहार किए हैं। जेडीए, डीपीआर और पत्रकार आवास समिति के बीच फुटबाल बने नायला पत्रकार नगर के 571 आवंटी पत्रकार जब चापलूस नेताओं की जद से बाहर निकले और तथ्य और सत्य को ढूंढने निकले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।  शासन की लचरता की हद है कि तत्कालीन गलतियों को सुधारने के बजाय 571 पीड़ित आवंटियों को ही बदनाम कर सीएम की नजरों से दूर करने में लगे हैं। सच से रूबरू होकर जेडीए आयुक्त रहे रवि जैन ने 571 आवंटियों को न्याय दिलाने की कार्यवाही तो की, लेकिन भूखंड के अनैतिक याचकों ने मुख्यमंत्री निवास के अधिकारियों को ही भरमा दिया। रवि जैन के निर्देशन में 571 नायला प्रकरण के हल के लिए जेडीए में कमेटी बनी, जिसमें डीपीआर पुरुषोत्तम शर्मा ने भी सहयोग किया, लेकिन भूखंड के अनैतिक याचकों और नेताओं ने शायद उन पर भी झूठी आभा का आवरण डाल दिया है।  इन सबके बीच बेहाल निर्दोष 571 पत्रकार और 10 साल से अपने ही प्लॉट की आस में भटक रहे ...

सीएम की भद्द पिटवा रही नकारा समिति और नकारा अधिकारी

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निराश 571 आवंटी पत्रकार कर सकते हैं कोर्ट में गुहार रूपेश टिंकर जयपुर। राजनीतिक साजिशों के शिकार बने 10 साल से भटक रहे पिंकसिटी प्रेस एनक्‍लेव, नायला पत्रकार नगर के 571 आवंटी पत्रकार पिछले 8 माह से चीख चीख कर कह रहे हैं कि कोई उन्‍हें इतना ही बता दे कि उनकी क्‍या गलती है, लेकिन जेडीए के बाबू की गलती पर पर्दा डालते हुए सभी इसे वापस गहरी गर्त में डालने में जुटे हैं। पिछली सरकार में भी यह योजना इकॉलोजिकल जोन के नाम पर गहरे गड्ढे में दफन कर दी गई थी, लेकिन आवंटी पत्रकारों ने गड्ढे से बाहर निकाल वापस जिंदा कर दिया।  आंदोलनरत 571 आवंटी पत्रकारों को सीएम के करीबी कुछ नकारा लोग ही यह कह कर भड़का रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री को किसी भी हाल में 571 आवंटियों के साथ न्‍याय नहीं करने देंगे। घेराबंदी तोड़ सीएम से मिलने में विफल 571 पत्रकारों ने अब न्‍यायालय की ही शरण लेने का मन बनाया है। लेकिन अगर इन 571 पत्रकारों की सीएम से आस टूटी तो सरकार की विफलताओं पर समाचारों का मोर्चा खुलना भी तय है।  मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत तो चाहते हैं कि पत्रकारों को रियायती दरों पर प्‍लॉट मिले और इसके लिए तो उन्‍होंने...