पत्रकारों को गहलोत सरकार से भिड़ाकर ही दम लेंगे कुंजीलाल
विधायक बनने की चाह में दिखा रहे हैं राजनीतिक होशियारी
जयपुर। लगता है कि यूडीएच सचिव कुंजीलाल मीणा ने ठान ही लिया है कि पिछले छह माह से गांधीवादी आंदोलन कर रहे 571 आवंटी पत्रकारों का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से विश्वास उठ जाए और वे गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन पर उतर आएं। तभी तो वे 571 आवंटी पत्रकारों और उनके परिवारों पर कुठाराघात करने पर उतारू हैं। यह जानते हुए कि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला योजना महज जेडीए की तत्कालीन लिपिकीय त्रुटि के चलते लंबित है और इसमें आवंटी पत्रकारों की कोई गलती नहीं है, कुंजीलाल मीणा चाहते हैं कि योजना को निरस्त कर दिया जाए। मीणा पहले भी आवंटियों से कह चुके हैं कि उन्हें न्याय के लिए कोर्ट ही जाना चाहिए।
विधायक बनने की चाह रखने वाले कुंजीलाल मीणा राजनीतिक होशियारी से इस योजना को खत्म करना चाहते हैं। उन्हें अच्छे से पता है कि अगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 571 आवंटी पत्रकारों के साथ न्याय करेंगे तो वे निश्चित ही आगामी विधानसभा चुनावों में सरकार और उसकी योजनाओं का प्रचार प्रसार कर कांग्रेस के मददगार साबित होंगे। लेकिन अगर प्लॉट की उम्मीद लगाए 571 आवंटी पत्रकारों की उम्मीदों पर पानी फिरा दिया जाए तो निश्चित ही गहलोत और कांग्रेस को आगामी चुनावों में पत्रकारों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि साल 2013 में हाई कोर्ट में लगी पीआईएल के बाद खुद सरकार और जेडीए ने कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला राज्य सरकार के प्रदेश भर में जारी आदेशों की पालना में सृजित की गई थी, जिसमें तत्कालीन पत्रकार आवास समिति ने सभी नियमों की पालना करते हुए 571 योग्य पत्रकारों का चयन किया था। इस बात को कोर्ट ने भी माना है और अपने निर्णय में रिकॉर्ड पर भी लिया है। योजना के ब्रोशर में सरकार के आदेश के विरुद्ध लिपिकीय त्रुटि से 571 आवंटी परेशान हैं। जेडीए ने पात्रता पर खरे सभी 571 की लॉटरी निकालकर प्लॉट आवंटित कर दिए थे और सभी के पंजीकरण राशि के डीडी भी भुना लिए थे। इस योजना और इसके आवंटित प्लॉटों की पूरी जानकारी जेडीए की वेबसाइट पर मौजूद है।
हाल ही 20 मार्च को आयोजित राज्य स्तरीय पत्रकार आवास समिति की बैठक में कुंजीलाल मीणा ने प्रयास किया कि इस योजना को निरस्त कर पत्रकारों को आवंटित 198 वर्ग मीटर के प्लॉट को छोटे कर 120 वर्ग मीटर कर दिए जाएं और अन्य पत्रकारों को भी शामिल करते हुए नई योजना में आवेदन आमंत्रित किए जाएं। कुंजीलाल मीणा के ये प्रयास समिति सदस्यों की समझ के परे थे, इसलिए उन्होंने इस बात का पुरजोर विरोध भी किया कि पहले से आवंटित प्लॉट को कैसे छोटे किए जा सकते हैं।
यह भी गौरतलब है कि दिसम्बर, 2021 में पत्रकारों को रियायती आवास दिलाने के उद्देश्य से बनी समिति इतने समय बाद तक एक भी सार्थक बैठक नहीं कर पाई है। जबकि प्रदेश में कुछ माह बाद आचार संहिता भी लगेगी। पत्रकारों का मानना है कि कुंजीलाल समिति को भी लगातार गुमराह कर रहे हैं और वे चाहते हैं कि किसी भी पत्रकार को प्लॉट मिल ही न सके। ऐसे में वे नई योजना के लिए नई जमीन तलाशने के बजाय आवंटित हो चुकी योजना का गतिरोध बढ़ाकर समिति का समय ही जाया करने में लगे हैं। हाल ही 20 मार्च को हुई बैठक भी बिना सार्थकता के सम्पन्न हुई है।
योजना में मौजूदा गतिरोध के सम्बन्ध में भी कुंजीलाल जानते हैं कि सभी 571 आवंटी नियमानुसार सही हैं और वे किसी भी हाल में योजना को निरस्त नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री गहलोत से न्याय नहीं मिला तो वे सभी कोर्ट जाकर प्लॉट हासिल करेंगे। ऐसे में न तो योजना के आवंटी 571 वरिष्ठ पत्रकारों को ही सरकार से न्याय मिलेगा और न ही गहलोत सरकार से प्लॉट मिलने का नए पत्रकारों का सपना भी चूर हो जाएगा। विधायक बनने की चाह में यूडीएच सचिव राजनीतिक दावपेच लगाकर दुबारा सरकार बनाने का गहलोत का सपना भी चूर करना ही चाहते हैं।
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