मृतक पत्रकार आश्रितों से प्लॉट छीनकर गहलोत का मान बढ़ाएंगे दो महारथी
क्या 571 परिवारों पर घात कर बनाएंगे सरकार
जयपुर। प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष पदस्थ एक नेता अपने चहेतों को प्लॉट दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सलाह दे रहे हैं कि वे पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला के प्लॉट की आस लेकर दिवंगत हो चुके पत्रकारों के परिजनों से उनका जीने का सहारा बन चुके प्लॉट छीन ले और उनके चहेतों को दे दें। वहीं पत्रकारों के लिए नई आवास योजना लाने में नाकाम प्रदेश के पत्रकार आवास समिति के अध्यक्ष कुंजी लाल मीना हाई कोर्ट का निर्णय पल्ले नहीं पड़ने से परेशान होकर पूरी योजना को ही मुख्यमंत्री से निरस्त कराना चाहते हैं, ताकि 571 आवंटियों की साकार हो चुकी योजना को कुचल नई योजना खड़ी कर अपनी योग्यता सिद्ध कर सके। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए दोनो ही महारथी 571 पत्रकारों के जायज सत्य का गला घोटना चाहते हैं, फिर चाहे मुख्यमंत्री को ही शर्मिंदगी का सामना करना पड़ जाए। यह जानते हुए कि 10 साल पहले गहलोत के ही आदेशों पर जेडीए से नियमानुसार आवंटित 571 प्लॉट के विधिवत स्वामी पत्रकारों को जेडीए की एक लिपिकीय त्रुटि का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दोनो महारथी त्रुटि सुधरवाने के बजाय समस्त योजना को ही उखाड़ फेंकने की राय देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मान बढ़ाना चाहते हैं।
10 साल से राजनीतिक कुचक्र के शिकार पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला पत्रकार नगर के 571 आवंटी पत्रकारों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो न्याय करना चाहते हैं, लेकिन अब गहलोत की सरकार के इन महारथियों के स्वार्थ आड़े आए हैं। सब जानते हुए कि 571 आवंटी निर्दोष व सही है और शीघ्र ही अशोक गहलोत भी इनके पट्टे जारी करवाने की मंशा जता चुके हैं। अगर ये दोनो महारथी अडंगा नहीं लगाते तो दिसंबर में ही 571 आवंटी पत्रकारों को उनके आवंटित प्लॉटों के कब्जे मिल चुके होते, लेकिन इन स्वार्थियों ने अनैतिक तर्क लगाकर योजना को रोकने के प्रयास किए हैं। इस योजना के आवंटियों के प्लॉट पर सभी की जीभ ललचाई है और इसी लालच की पूर्ति के लिए इन्होंने भ्रम खड़ा कर गहलोत से भी अनैतिक करवाने की साजिश रच दी है।
अपने अल्प ज्ञान के सहारे ये 571 पत्रकारों के आवंटन के सच को झुठलाकर प्लॉटों पर अपने चहेतों को काबिज कराने की इच्छा पाले हैं। इन्हे ये भी पता है कि आवंटी पत्रकार पूरा सच जानते हैं और आखिर में जीत भी सत्य की होनी है। ये आवंटियों के सत्य पर पर्दा डालने पर आमादा हैं।
एक ओर तो नेता जी से जुड़े कुछ लोगों की इन प्लॉटों पर जीभ लपाके मार रही है। वे प्रदेश कांग्रेस के नेता के जरिए आवंटित योजना में दिवंगत हो चुके पत्रकारों के आवंटित प्लॉट से उनके परिजनों को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और अपना आशियाना आबाद करने की तमन्ना पाले हैं।
वहीं दूसरी ओर मौजूदा पत्रकार आवास समिति के अध्यक्ष कुंजी लाल मीना तत्कालीन यूडीएच सचिव जीएस संधू की अध्यक्षता वाली समिति के निर्णय को काटने के लिए हवा में तलवार चला रहे हैं। इन्हे अच्छे से पता है कि पुरानी आवंटित योजनाओं में ताक झांक इनका काम नहीं है, लेकिन नई पत्रकार योजना लाने में नाकामी का कलंक 571 आवंटियों के आवंटित प्लॉटों पर डाका डालकर धोना चाहते हैं।
इधर, पत्रकार राजनीति के मठाधीश इस चिंता में हैं कि यदि उनके नेतृत्व में लगभग डुबो दी गई योजना में आवंटित प्लॉट पत्रकारों ने हासिल कर लिए तो अपनी नेतागिरी कहां झाड़ेंगे। उन्होंने तो 10 साल के दौरान अपनी पूरी काबिलियत और सामर्थ्य से आवंटियों को मूर्ख बनाकर इस योजना को पलीता लगाया था। अब आवंटी पत्रकार उनके नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर प्लॉट लेने की स्थिति में आ गए हैं तो ये भी अपनी मक्कारी के सारे दाव खेलकर अनैतिकता की हर सीमा पार करने पर तुले हैं।
चारों ओर से चक्रव्यूह में घिरे 571 आवंटी पत्रकारों को अपने आवंटन के सत्य और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पूर्ण विश्वास है। इसीलिए वे पिछले 40 दिन से रोजाना मुख्यमंत्री के घर जाकर सत्य की फरियाद पहुंचा रहे हैं। जेडीसी रवि जैन और मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव कुलदीप रांका आवंटियों के सत्य से वाकिफ हैं। जेडीसी ने तो योजना की पूरी वस्तुस्थिति की रिपोर्ट भेजकर मुख्यमंत्री को अवगत कराया है। दोनो अधिकारी जानते और मानते हैं कि आवंटियों का इसमें दोष नहीं है और मुख्यमंत्री को इसका हल निकालकर 571 आवंटियों के साथ न्याय करना चाहिए। लेकिन राजनीतिक कुचक्रों से खुद जूझ रहे मुख्यमंत्री आस्थावान 571 पत्रकारों पर चले कुचक्रों को काटने का समय भी नहीं निकाल पा रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि अब वही इन कुचक्रों को काटकर सत्य और न्याय के प्रकाश से सबको प्रकाशित करे।
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