गांधीवादी मुख्यमंत्री का गांधीवादी घेराव, आवंटी पत्रकारों से आखिर क्यों बच रहे हैं गहलोत
रूपेश टिंकर
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देश भर में गांधीवादी मुख्यमंत्री माने जाते हैं और उनके सरकारी निवास पर आजकल पत्रकारों का गांधीवादी प्रदर्शन हो रहा है। यहां पिंकसिटी प्रेस एनक्लेव, नायला पत्रकार नगर के 571 आवंटी पत्रकारों का पिछले साढ़े तीन माह से गांधीवादी आंदोलन चल रहा है, जिसकी पुकार मुख्यमंत्री गहलोत ने भी सुनी है, लेकिन 9 साल से आवंटित भूखंड के पट्टे जारी नहीं होने के चलते आवंटी पत्रकार अब गहलोत के सरकारी निवास पर प्रतिदिन दस्तक दे रहे हैं। पत्रकारों के इस अनूठे प्रदर्शन की सब जगह चर्चा है। इस आंदोलन की अब तक यही विशेषता रही है कि गहलोत जिंदाबाद के अलावा कभी भी, कहीं भी कोई नारेबाजी नहीं हुई और हर जगह गहलोत पर भरोसा जताते हुए ही कार्यक्रम आयोजित हुए। एक ओर तो मुख्यमंत्री नायला योजना के पट्टे शीघ्र जारी करने की बात कहते हैं तो वहीं दूसरी ओर न जाने क्यों वे अनेक अवसरों पर 571 आवंटी पत्रकारों से मिलने से भी कतरा रहे हैं। 23 अक्टूबर को तो मुख्यमंत्री जी का पिंकसिटी प्रेस क्लब में आने का कार्यक्रम भी बना, लेकिन 571 आवंटी पत्रकारों की वहां मौजूदगी की इंटेलीजेंस की रिपोर्ट पर कार्यक्रम ही निरस्त कर दिया गया।
वैसे तो पिछले साढ़े तीन माह से सभी आवंटी पत्रकारों ने मुख्यमंत्री पर विश्वास जताते हुए अलग अलग तरह के आंदोलन किए हैं, लेकिन इस बार तो वे मुख्यमंत्री के निवास पर ही दस्तक देने जा पहुंचे हैं। चलो नायला संगठन के तत्वावधान में यह रोचक आंदोलन सोशल मीडिया पर व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर 30 सितम्बर, 2022 से शुरू हुआ, जिसमें एक के बाद एक आवंटी पत्रकार जुड़ते गए और आवंटियों का एक काफिला तैयार हो गया। ग्रुप के गठन के बाद 4 अक्टूबर को सभी आवंटियों ने एक प्रेस वार्ता बुलाकर ऐलान किया कि विजय दशमी के दिन 5 अक्टूबर को सभी नायला पहुंचकर अपने अपने आवंटित भूखंड पर अपने नाम, पते की तख्तियां गाड़कर कब्जा जताएंगे। जयपुर जेडीए की ओर से 9 साल से आवंटित भूखंडों के पट्टे जारी नहीं किए जाने के खिलाफ बड़ी संख्या में आवंटी पत्रकार आवासीय योजना स्थल नायला पहुंच गए और नाम पट्टिकाएं गाड़कर जेडीए को चुनौती दे डाली। इसके बाद सभी आवंटी 9 अक्टूबर को जेडीए में एकत्र हुए और उन्होंने जेडीसी रवि जैन को अलग अलग पत्र देकर भूखंड के कब्जा पत्र जारी करने की मांग की। आवंटियों का हुजूम एकाएक जेडीसी कार्यालय पहुंचने से अफरा तफरी मच गई और मौके पर पुलिस भी बुलानी पड़ी, लेकिन आवंटियों के शांतिपूर्ण ढंग से केवल जेडीसी के नाम पत्र जमा कराने की मांग पर अलग से काउंटर लगाकर व्यवस्था की गई। जिस पर सभी आवंटियों ने अपना प्रार्थना पत्र जमा कर प्राप्ति रसीद हासिल की। इसी दिन एक ओर मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव कुलदीप रांका भी आवंटी पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल से मिलकर प्रकरण सुन रहे थे तो वहीं दूसरी ओर जेडीसी उन्हें बता रहे थे कि जेडीए में दो सौ से अधिक आवंटी आ पहुंचे हैं।
सभी आवंटी 19 अक्टूबर को जयपुर के सेंट्रल पार्क में जमा हुए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अपने हाथ से भावनात्मक पत्र लिखकर उन्हें प्रेषित किया तथा उनके भूखंडों के पट्टे शीघ्र जारी करने की मांग की। इसक बाद आवंटियों ने फिर योजना स्थल नायला का रुख किया और योजना के मुख्य पार्क में दीपावली मनाई। दीपावली के बाद 29 अक्टूबर को नायला की भूमि पर शानदार स्नेह मिलन और अन्नकूट महोत्सव मनाया, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी आमंत्रित किया, लेकिन गहलोत वहां भी नहीं पहुंचे। पत्रकारों के इस अनूठे आंदोलन की खबरें भी समय समय पर सथानीय और प्रदेश स्तर के समाचार पत्रों तथा न्यूज चेनलों पर दिखाई गई।
3 नवम्बर के दिन बारां प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पत्रकारों की सुध ली। रात्रि विश्राम के दौरान चलो नायला संगठन के वहां मौजूद प्रतिनिधि से उन्होंने बात की। साथ ही जेडीसी रवि जैन से भी मोबाइल पर वस्तु स्थिति की जानकारी ली। बारां में अगले दिन 4 नवम्बर को मीडिया से मिलते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि पत्रकारों के संगठन और प्लेटफार्म खत्म हो गए हैं, इसलिए उन तक बात देर से पहुंची है। उनकी सरकार ने पहले भी पत्रकारों की आवास योजनाएं बनाई है और अब जयपुर में पत्रकारों को प्लॉट दिए जा रहे हैं।
9 नवम्बर को जेडीसी रवि जैन ने चलो नायला संगठन के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। वार्ता में जेडीए ने योजना में जारी गतिरोध पर प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया, लेकिन प्रतिनिधियों ने साफ कह दिया कि जारी गतिरोध में 571 आवंटियों का कोई दोष नहीं है। जो भी गलतियां हुई हैं, वे तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है तो निर्दोष आवंटियो को इसका दंड नहीं मिलना चाहिए। इस पर सरकार को तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर भेज दी गई।
इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा की मध्यस्थता में प्रदेश कांग्रेस के वार रूम में 23 नवम्बर को आवंटी पत्रकारों को बुलाया गया और मुख्यमंत्री गहलोत ने उनसे मुलाकात की। यहां बड़ी गर्मजोशी से गहलोत ने नायला योजना के आवंटियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि वे उनके प्लॉट दे देंगे। नायला आवंटियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
17 दिसम्बर को सरकार के 4 साल पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर नायला योजना के आवंटियों के प्रतिनिधियों से मिलकर भरोसा दिलाया कि राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के चलते उनकी व्यस्तता है। यात्रा के निकलने के बाद वे उनका काम कर देंगे।
पूरे दिसम्बर इंतजार के बाद भी आवंटियों के भूखंडों के पट्टे जारी नहीं किए गए तो पत्रकार आवंटियों का सब्र फिर टूटने लगा। अनेक आवंटियों ने चलो नायला व्हाट्स एप ग्रुप में सड़क पर आकर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया, लेकिन एक ओर गांधीवादी प्रदर्शन पर ही सहमति बनी। अब 9 जनवरी, 2023 से 5-5 आवंटी पत्रकार जत्थे बनाकर अपने आवंटन के दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री निवास पर पहुंच रहे हैं और रोजाना मुख्यमंत्री जी से मिलाने की जिद कर रहे हैं। इससे मुख्यमंत्री निवास के अधिकारी व कार्मिक भी हतप्रभ हैं। वे बताते हैं कि पत्रकारों के आने की सूचना रोज मुख्यमंत्री जी को दी जा रही है, लेकिन मिलने का समय मुख्यमंत्री जी ही तय करेंगे। आवंटी पत्रकार भी अड़े हुए हैं कि वे भी मुख्यमंत्री जी से मिलने तक रोजाना उनके निवास पर दस्तक देते रहेंगे।
पत्रकारों के इस प्रदर्शन की मुख्यमंत्री निवास से लेकर शासन सचिवालय तक चर्चाएं हैं। रोज कोई न कोई पत्रकार कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी से पूछ बैठता है कि 571 के पट्टे कब तक जारी होंगे, जिसका जवाब देने से मुख्यमंत्री न जाने क्यों बचते नजर आते हैं।
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